तुम आए …….

shruti4

बचपन से ख्वाहिश थी किसी को पाने की..
हर वक़्त मेरे कानो में गूँजती थी आवाज़ उस अंजाने की..

बहुत ढूँढ़ा, बहुत देखा
कभी पाया, कभी खोया

हर शक्स को एक बार टटोल कर देखती थी मैं, कि वो तुम तो नही ?
कभी लगा तुम मिले ,और कभी हम वहम के शिकार हुए
न जाने ऐसे हमने तुम्हारे बिना कितने साल गुज़ार दिए

अब जब तुम आए हो ,तो जाना है कि तुम ही हो
मगर फिर भी मैं डरती हूँ ,
घबराती हूँ !
क्यूँ कि इस बार वहम नही,प्यार चाहती हूँ |

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