बचपन से ख्वाहिश थी किसी को पाने की..
हर वक़्त मेरे कानो में गूँजती थी आवाज़ उस अंजाने की..
बहुत ढूँढ़ा, बहुत देखा
कभी पाया, कभी खोया
हर शक्स को एक बार टटोल कर देखती थी मैं, कि वो तुम तो नही ?
कभी लगा तुम मिले ,और कभी हम वहम के शिकार हुए
न जाने ऐसे हमने तुम्हारे बिना कितने साल गुज़ार दिए
अब जब तुम आए हो ,तो जाना है कि तुम ही हो
मगर फिर भी मैं डरती हूँ ,
घबराती हूँ !
क्यूँ कि इस बार वहम नही,प्यार चाहती हूँ |
Nice line Shruti Jolly…Keep
up the spirit…keep going..,.
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thank you 🙂
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Nice mam.. U r too gud..Multi talented..:)
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