करारी वाले अंकल

सर्दी का अपना ही मज़ा है , ख़ासतौर पर जब सर्दी अपने घर की हो , मेरा मतलब है करनाल,हरयाणा की|सर्दी की एक अजीब सी खूशबू होती है,एक अजीब सा धुआ,एक अजीब सी गर्माहट और एक अजीब सा अपनापन|

सर्दी की यादें सीधा रज़ाई से जुड़ी होती है ,  वो सबसे मोटी वाली रज़ाई के लिए की गयी लड़ाई , वो बहुत याद आती है| वही रज़ाई जो भाई बहनो की लड़ाई करवाने के बावजूद भी उन्हे नही मिलती , क्योंकि मोटी रज़ाई तो पापा की होती है|शाम को रज़ाई में बैठ के मूँगफली,गजक,रेवड़ी ,गुड खाना ये सब सर्दी में चार चाँद लगा देते थे|

लेकिन मुझे आज भी सर्दी होते ही एक ही चीज़ याद आती है , “करारी वाले अंकल”

हर शाम को जब रज़ाई से ना निकलने का आलस ,मम्मी के किसी भी काम को हमसे मना करवा देता था | तब वो गली में बजती घंटी,उस आलस की धज़िया उड़ा , हमे रज़ाई छोड़ घर से बाहर दौड़ा देती थी |आज भी याद है मुझे अपने बचपन के वो दिन ,जब वो गली में घंटी बजाते आते थे और हम सब अपने-अपने हाथो में सिक्के लिए तैयार होते थे ,के आज क्या लेंगे|

“अंकल 4 पान देना ,4 मछली,अंकल एक टीन-टीन भी देदो|”
“अच्छा रामलड्डू लाए हो?नही वो रहने दो,2 ईमली देदो |”
“आज चीनी- मिनी नही लाए आप?”
“अंकल में ये घंटी बजा लूँ क्या ?(ये अक्सर मैं पूछती थी)”

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अंकल का वो ठेला हमारे लिए एक जादू के झोले जैसा होता था|करीबन 50-55 साल के होंगे वो ,बचपन से बड़े होते होते हर सर्दी में कुछ भी बदल जाए,हर शाम इंतज़ार करारी वाले अंकल का ही होता था|बोर्ड Exam भी क्यूँ ना हो अंकल को हम कभी मिस नही करते थे|

आप सोच रहे होंगे की हम उन्‍हे हम “करारी वाले अंकल” क्यूँ कहते थे? क्योंकि उनके ठेले के लगभग एक चौथाई हिस्से में, वो मोटी भुजिया रखते थे और उसमे एक मसाला डालते थे ,जिसे वो करारी कहते थे |गली में घंटियों की आवाज़ के साथ करारीईईईईई बोलते हुए आते थे , इसलिए हम उन्हे करारी वाली अंकल बोलते थे|पूरे ठेले में सबसे महँगी वो करारी ही होती थी , जो हम कभी कभी खरीदते थे|अब शायद सब बच्चों ने उनका नाम कुछ और रखा हो ,ये नाम हम तीन भाई बहनो ने दिया था उन्हे,शायद|

बस कुछ ऐसा समझ लो कि हम तो अंकल का हर रोज़ इंतज़ार करते थे ,जब से मुझे याद है तबसे आज तक|आख़िरी बार मैने उनसे बारहवीं में कुछ खरीदा होगा ,बारहवीं के बाद मैं हॉस्टिल में चली गयी  और फिर तो सिर्फ़ सेमेस्टर की छुट्टी में ही घर आती थी|आने के बाद भी इंतज़ार  करती थी मैं ,लेकिन ना घंटी की आवाज़ सुनाई दी , ना ही अंकल की|सोचा आज थक गये होंगे तो आज हमारी गली में नही आए होंगे|फिर कभी कभी तो दूसरी गली में भी चक्कर लगाए मैने उनके लिए लेकिन वो नही मिल रहे थे| ऐसा कैसे हो सकता था , अंकल तो हर रोज आते थे,वो तो Sunday को भी छुट्टी नही करते थे|फिर सोचा शायद बीमार हो गये होंगे |और इस तरह हर सर्दी में मैं उनका इंतज़ार करती थी | कुछ Semester निकल चुके थे ,लेकिन अंकल का कुछ अता पता नही था |

मेरी धुंधली सी यादें ये बताती हैं की मैने काफ़ी कोशिश की थी, हर बार उन तक पहुँचने की, शायद वो इतनी दूर जा चुके थे कि मेरा उन तक पहुँच पाना अब मुश्किल था|लेकिन मैं हर बार बस इस एक ख़याल को अपने दिल में  नही आने देती थी  और इंतज़ार करती थी|उस ठेले में हमारा बचपन था,उस घंटी में हमारे बचपन की खिलखिलाहट थी|अंकल को देख कर हम सब भूल जाते थे , चाहे वो स्कूल में हुई छोटी मोटी लड़ाई हो,जो उस वक़्त बहुत बड़ी लगती थी ,या फिर मम्मी की डाँट|

सच कहूँ तो आज भी जब घर जाती हूँ और शाम को अगर कही से घंटी की आवाज़ सुनाई दे ,तो एक बार बाहर ज़रूर जाती हूँ इधर उधर देख लेती हूँ|यही सोचती हूँ की शायद मेरा बचपन फिर से ताज़ा हो जाए, लेकिन बचपन कभी वापिस नही आता|

मेरी दुनिया, मेरी माँ !!

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दिन शुरू होते ही घिर जाती हूँ मतलबी लोगो की भीड़ में|दुनिया कितनी मतलबी होती है,हर आधे घंटे में एक नया नकाब उतरते देखती हूँ|दिल में उथल पुथल होती है तो सोचती हूँ कि लोग ऐसे क्यूँ होते है|कभी दिल करता है किसी का सिर फोड़ दो|तो कई बार सोचती हूँ कि मुँह मोड़ लेना चाहिए मतलबी लोगो से|कभी लगता है दोस्ती भी कुछ नही होती|

पूरा दिन बेचैनी से काटने के बाद जब शाम को में अपनी माँ को फोन करती हूँ,तो वो फिर से एहसास दिलाती है कि दुनिया में हर कोई मतलबी नही होता,उन उतरे हुए नकाब वाले चेहरो से भी प्यार करना सिखाती है,जिनसे मुँह मोड़ने का दिल करता है, उन्हे गले लगाना सिखाती है,हर रिश्ते को पूरा निभाना सिखाती है|कहती है  “जिसका जितना साथ हो,उतना ही अच्छा है”|

सही कहते है, भगवान हर जगह नही हो सकता इसलिए उसने माँ बनाई है|
One day is not enough Mom…You are my world and I owe you every single day..I love you !!

Best Compliments

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The best compliment you can ever give me is:
I look like my Mom,I talk like my Dad.
I care like my Mom,I think like my dad.
I am supportive like my Mom,I am responsible like my dad.
I save money like my Mom,I spend intelligently like my Dad.
I have Patience like my Mom,I am persistent like my Dad.
I cook like my Mom,I am social like my Dad.
I am committed like my Mom ,I am loyal like my Dad.
I am generous like my Mom,I am honest like my Dad.
I respect like my Mom,I appreciate things like my Dad.
I keep people happy around me like my Mom,
I do not loose my hope till the last breath like my Dad.

I love you Mom and Dad.

सपने देखना हसीन है आसान नही !!

IMG_9959जब आप खुली आँखों से कोई सपना देखते हो,तो आपको उसे देख देखकर ही एक अजीब सी खुशी मिलती है|आप उठते-बैठते,चलते-फिरते उस एक सपने में खोए रहते हैं|अपने ही सपनो की दुनिया में रहना आपको बहुत अच्छा लगता है क्योंकि यह सपने दूर से बहुत हसीन लगते है|थोड़ी सी आशंका होती है की क्या होगा, मेरा यह सपना पूरा होगा या नही लेकिन आप हिम्मत रखकर कदम बढाने लगते है …अगर आप उन लोगो में से है, जो अपने सपनो को पूरा करने की हिम्मत रखते है|

अचानक से आपको एहसास होता है  कि आप अपने सपनो  के बहुत करीब हैं,और यकीन मानिए पास से तो ये सपने और भी हसीन लगते है|लेकिन इन सपनो के पास आते ही खुशी के साथ एक अजीब सा डर जुड़ जाता है,कि ग़लती से भी ये सपना टूट ना जाए | ये सपने आपको डरा भी सकते है |फिर भी आप उस डर को एक कोने में रखकर आगे बढ़ते रहते है…अगर आप उन लोगो में से है, जो सपनो को पूरा करने की हिम्मत रखते है|

लेकिन कभी कभी ये सपने सच में टूट जाते है|आप रोते है,बिलखते है ,आपने आप को एक कमरे में बंद कर लेते हैं |सपनो के टूटने का दुख सबसे बड़ा होता है क्योंकि वो आपका अपना दर्द होता है|आप अपने सपने के साथ टूट जाते है…

उस समय, उस क्षण,उस सपने को वापिस से देखना बहुत मुश्किल होता है , या फिर ये मान लीजिए के नामुमकिन होता है| लेकिन आप फिर भी उस सपने को दुबारा देखते है…अगर आप उन लोगो में से है जो सपनो को पूरा करने की हिम्मत रखते है |

तुम आए …….

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बचपन से ख्वाहिश थी किसी को पाने की..
हर वक़्त मेरे कानो में गूँजती थी आवाज़ उस अंजाने की..

बहुत ढूँढ़ा, बहुत देखा
कभी पाया, कभी खोया

हर शक्स को एक बार टटोल कर देखती थी मैं, कि वो तुम तो नही ?
कभी लगा तुम मिले ,और कभी हम वहम के शिकार हुए
न जाने ऐसे हमने तुम्हारे बिना कितने साल गुज़ार दिए

अब जब तुम आए हो ,तो जाना है कि तुम ही हो
मगर फिर भी मैं डरती हूँ ,
घबराती हूँ !
क्यूँ कि इस बार वहम नही,प्यार चाहती हूँ |

” मेरा खुद से परिचय “

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मेरे अंदर का इंजिनियर एक बहुत ही आराम पसंद इंसान है|मुझे रोज़ तसल्ली देकर कहता है

“देखो मेरे कारण तुम एक MNC में नौकरी कर रही हो ,अच्छा ख़ासा कमा रही हो और सही ऐश भी कर रही हो|”

यह इंजिनियर  जनवरी तक तो बहुत हुड़दंग मचाता है , लेकिन फ़रवरी  आते आते किसी कोने में छिप जाता है |ऐसा क्यूँ? अरे भाई फ़रवरी में appraisal जो due होता है| अब यह appraisal की tension और काम का pressure ,यह सब मेरे अंदर के एक्टर को बाहर ले आते है ,और वो तो बाहर आते ही बिल्कुल फिल्मी अंदाज़ में मुझसे पूछता है ,

“क्या ये है तुम्हारी ज़िंदगी? सुबह से शाम तक ऑफिस में एक बंद कमरे में काले से डिब्बे के सामने सिर फोड़ते रहो , अच्छा चलो ये भी माना की बहुत कमा लेती हो,लेकिन क्या फायदा?तुम ही बताओ क्या Successful होने का मतलब सिर्फ़ पैसा कामना है?”

मैं सोच में पड़ जाती हूँ कि चुपके से मेरे कान में बोलता है ,

“या फ़िर अपना नाम कामना है ? तुम एक एक्टर हो..अपने Talent की पहचान अब नहीं कर पाओगी तो कब करोगी ?”

इतने में  मेरे फोन की घंटी बजती है और एक Shoot के लिए  कॉल आता है, तो मेरे अंदर का Model मुझे समझाते हुए ये कहता है, कि
” देखो , या तो सारा दिन ऑडिशन की लंबी लाइन में खड़े होकर, रात को ठन ठन गोपाल वापिस आ जाओ ,नहीं तो एक दिन के shoot  से पैसे कमाओ |”

यह सुनकर ऐसा लगता है की , यह Model ही बिलकुल सही है ,वो भी करता है जो में चाहती हूँ और फ़िर लाइफ के लिए पैसा भी तो ज़रूरी है ,वो तो मिल ही रहा है Modelling में |बस इससे पहले कि मन खुशी से झूम ही उठे एक और कॉल आ जाता है,कि ‘शूट Cancel हो गया है’ | और बस, अब ये सब देख के मेरे अंदर का writer खुद को रोक नहीं पाता , पहले तो मुझ पर थोड़ा सा हँसता है, और फ़िर मुझसे कहता है,

“चलो तुम्हारा दिल हल्का कर दूँ |”